धार्मिक यात्रा: ये है 12वां ज्योतिर्लिंग, जानिये यहां की पौराणिक कथा, शिव के दर्शन के लिए इस सावन जा सकते हैं आप | घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए मार्गदर्शन

 

धार्मिक यात्रा: ये है 12वां ज्योतिर्लिंग, जानिये यहां की पौराणिक कथा, शिव के दर्शन के लिए इस सावन जा सकते हैं आप

इस सावन आप अपने परिवार के साथ 12वें ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं. यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है. भगवान भोलेनाथ का यह प्रसिद्ध मंदिर औरंगाबाद शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर वेरुल नामक गांव में है. इस ज्योतिर्लिंग को घुष्मेश्वर भी कहा जाता है.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा है कि देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा ब्राह्मण पत्नी सुदेहा के साथ रहता था. उनकी कोई संतान नहीं थी. सुदेहा ने अपने पति का विवाह छोटी बहन घुष्मा से करवा दिया जो भगवान शिव की परम भक्त थी. वह रोज 100 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करती और उन्हें तालाब में विसर्जित कर देती. भगवान शिव की कृपा से उसका एक पुत्र हुआ. समय के साथ छोटी बहन की खुशी बड़ी बहन सुदेहा से देखी नहीं गई और एक दिन उसने छोटी बहन के पुत्र की हत्या करके तालाब में फेंक दिया. पूरा परिवार दुख से घिर गया. पर शिव भक्त घुष्मा को अपने आराध्य भोलेनाथ पर पूरा भरोसा था. वह प्रतिदिन की तरह शिव पूजा में लीन रही. एक दिन उसे उसी तालाब में अपना पुत्र वापस आता दिखा. अपने मृत पुत्र को फिर से जीवित देख घृष्णा काफी खुश थी. कहा जाता है कि उसी समय वहां शिव प्रकट हुए और उसकी बहन सुदेहा को दंड देना चाहा. लेकिन घुष्मा ने शिव से बहन को क्षमा कर देनी की विनती की. इस ज्योतिर्लिंग के करीब एक तालाब है. भक्त जिसके दर्शन करते हैं.

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास

स्थान: घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के महाराष्ट्र राज्य के औंढी-नगर में स्थित है। यह स्थान 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पूजा की जाती है। घृष्णेश्वर का अर्थ है "जिसे भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान हो"।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यहाँ भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस स्थान का उल्लेख विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में मिलता है, विशेष रूप से शिव पुराण में।

1. पौराणिक कथा

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा बहुत ही अद्भुत और शिक्षाप्रद है। इसका संबंध एक भक्त, कालिका और उनके पति सिद्धार्थ से है।

  • कालिका और सिद्धार्थ की कहानी: कालिका एक समर्पित भक्त थीं, जो भगवान शिव की पूजा करती थीं। उनका पति सिद्धार्थ एक ब्राह्मण था। सिद्धार्थ का एक दुष्ट दैत्य द्वारा वध हो गया, जिससे कालिका का जीवन दुखों से भर गया। उसने अपने पति की आत्मा को शांति देने के लिए भगवान शिव की आराधना करने का निर्णय लिया।

  • घृष्णेश्वर का अवतार: कालिका ने कठोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए असीम प्रयास किए। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रभावित हुए और सिद्धार्थ की आत्मा को शांति प्रदान करने का वचन दिया। इसके बाद भगवान शिव ने यहाँ घृष्णेश्वर के रूप में अवतरित होकर एक ज्योतिर्लिंग की स्थापना की।

  • ज्योतिर्लिंग की पूजा: कालिका ने भगवान शिव के इस अवतार की पूजा की, जिससे उनके पति की आत्मा को शांति मिली। इसके बाद से इस स्थान को घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाने लगा।

2. मंदिर का निर्माण

घृष्णेश्वर मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में राजा शिवाजी द्वारा किया गया माना जाता है। हालांकि, इस स्थान की पूजा का महत्व प्राचीन काल से है। यहाँ की वास्तुकला और नक्काशी अद्वितीय हैं, जो भक्तों को आकर्षित करती है।

  • आर्किटेक्चर: घृष्णेश्वर मंदिर की वास्तुकला भारतीय मंदिरों की उत्कृष्टता का उदाहरण है। यहाँ की शिल्प कला और नक्काशी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर का शिखर और मुख्य गर्भगृह बहुत ही भव्य हैं।

धार्मिक महत्व

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इसे विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जो भगवान शिव की आराधना करते हैं।

  1. मोक्ष का प्रतीक: यहाँ पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों का क्षय होता है। इस स्थान पर आकर भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं।

  2. महाशिवरात्रि उत्सव: महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। भक्त यहाँ आकर विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे वे भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं।

  3. सावन का माह: सावन के महीने में भी यहाँ विशेष पूजा होती है। भक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, जिससे उन्हें विशेष आशीर्वाद मिलता है।

वर्तमान स्थिति

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग आज भी भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है। स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति भक्तों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखती है।

  • सुविधाएँ: मंदिर परिसर में भक्तों के लिए ठहरने और भोजन की व्यवस्था उपलब्ध है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है।

  • स्थानीय संस्कृति: घृष्णेश्वर मंदिर के आसपास की संस्कृति और परंपरा स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यहाँ की जीवनशैली और रीति-रिवाज भगवान शिव के प्रति श्रद्धा को दर्शाते हैं।

निष्कर्ष

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आस्था का महत्वपूर्ण प्रतीक है। इसकी पौराणिक कथाएँ, ऐतिहासिक महत्व और भक्तों की भक्ति इसे विशेष बनाते हैं। यहाँ आकर भक्त केवल पूजा-अर्चना नहीं करते, बल्कि एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव भी प्राप्त करते हैं। यदि आप भगवान शिव के प्रति श्रद्धा रखते हैं, तो घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग आपकी यात्रा की सूची में अवश्य होना चाहिए।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए मार्गदर्शन

स्थान: घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। यह स्थान आग्रा-नासिक मार्ग पर है और यहाँ पहुँचने के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग किया जा सकता है।

1. वायु मार्ग (Air)

  • नजदीकी एयरपोर्ट:
    • औरंगाबाद एयरपोर्ट: यह सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, जो घृष्णेश्वर से लगभग 30 किमी दूर है।
  • यात्रा: एयरपोर्ट से टैक्सी या कैब लेकर सीधे घृष्णेश्वर पहुँच सकते हैं।

2. रेल मार्ग (Train)

  • नजदीकी रेलवे स्टेशन:
    • औरंगाबाद रेलवे स्टेशन: यहाँ से कई ट्रेनें उपलब्ध हैं, जो विभिन्न शहरों से जुड़ी हुई हैं।
  • यात्रा: स्टेशन से टैक्सी, ऑटो या बस लेकर घृष्णेश्वर मंदिर जा सकते हैं।

3. सड़क मार्ग (Road)

  • बस सेवा:
    • महाराष्ट्र राज्य परिवहन की बसें औरंगाबाद से घृष्णेश्वर के लिए नियमित रूप से चलती हैं।
  • स्वयं की गाड़ी:
    • मार्ग: NH-60 और NH-211 का उपयोग कर सकते हैं।
    • यात्रा का समय: औरंगाबाद से घृष्णेश्वर की दूरी लगभग 30 किमी है और यह यात्रा लगभग 1 घंटे में पूरी होती है।

4. स्थानीय परिवहन

  • टैक्सी/ऑटो: घृष्णेश्वर पहुँचने के बाद, आप स्थानीय टैक्सी या ऑटो रिक्शा का उपयोग कर सकते हैं।

यात्रा की तैयारी

  • समय: महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहाँ अधिक भीड़ होती है, इसलिए पहले से यात्रा की योजना बनाना अच्छा रहेगा।
  • सुविधाएँ: मंदिर परिसर में कुछ सुविधाएँ उपलब्ध हैं, लेकिन आप कुछ नाश्ता और पानी अपने साथ ले जाना चाहें।

निष्कर्ष

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ पहुँचने के लिए उपरोक्त मार्गदर्शन का पालन करें और भगवान शिव की आराधना का अनुभव करें!

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