माँ धारी देवी मंदिर | पौड़ी गढ़वाल जिला, उत्तराखंड
माँ धारी देवी मंदिर, जो कि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर देवी धारी को समर्पित है, जिन्हें काली और दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व बहुत गहरा है, और यह क्षेत्र की संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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माँ धारी देवी मंदिर |
पौराणिक कथा
माना जाता है कि देवी धारी की पूजा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम ने लंका पर आक्रमण किया, तो उन्होंने देवी धारी से मदद मांगी। तब देवी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे हमेशा भक्तों की रक्षा करेंगी। इसीलिए, यहाँ पर देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। भक्तों का विश्वास है कि देवी धारी उनके जीवन में संकट के समय उन्हें सहायता प्रदान करती हैं।
मंदिर का निर्माण
मंदिर का निर्माण सदियों पहले हुआ था, और इसका मूल स्वरूप एक साधारण पूजा स्थल था। समय के साथ, इसका विकास हुआ और इसे एक भव्य मंदिर के रूप में स्थापित किया गया। यहाँ की पुरानी मूर्तियों और वास्तुकला इसे एक विशेष महत्व देती हैं। यह मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहाँ से नैनीताल झील का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।
भौगोलिक स्थिति
माँ धारी देवी मंदिर समुद्र तल से लगभग 6000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर नैनीताल से लगभग 8 किलोमीटर दूर, काठगोदाम और नैनीताल के बीच स्थित है। यहाँ पहुंचने के लिए पहाड़ी रास्ते का उपयोग करना होता है, जो यात्रा को रोमांचक बनाता है। मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य और शांति इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाते हैं।
धार्मिक महत्व
माँ धारी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या हर वर्ष बढ़ती जा रही है। यहाँ भक्त विभिन्न अवसरों पर आते हैं, विशेषकर नवरात्रि के दौरान। इस समय मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन किया जाता है। भक्तगण यहाँ अपने परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए देवी से प्रार्थना करते हैं।
माँ धारी देवी |
उत्सव और समारोह
मंदिर में साल भर कई उत्सव मनाए जाते हैं। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। इसके अलावा, हर साल माघ मास में माघी मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग दूर-दूर से आते हैं। इस मेले में धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं।
संरक्षण और देखभाल
हाल ही में, मंदिर के संरक्षण और देखभाल के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। सरकार और स्थानीय संगठनों द्वारा मंदिर के विकास और यात्रियों की सुविधाओं के लिए कई योजनाएँ बनाई गई हैं। यहाँ की पुरानी मूर्तियों और वास्तुकला को संरक्षित करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।
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