माँ मनसा देवी कथा - History of Mansa Devi temple Haridwar || कब बना? किसने बनाया? मान्यताये

 माँ मनसा देवी, जिन्हें सर्पों की देवी और इच्छाओं को पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है, भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनका उद्भव समुद्र मंथन के समय हुआ था, जब देवी-देवताओं ने अमृत प्राप्त करने के लिए मंथन किया। माँ मनसा देवी का जन्म भगवान शिव की शक्ति के रूप में हुआ, और उन्हें सर्पों की रानी कहा जाता है।

Mansa Devi temple

पौराणिक कथा

  1. उद्भव: माँ मनसा देवी का जन्म समुद्र मंथन के समय हुआ था। माना जाता है कि उन्हें भगवान शिव की शक्ति के रूप में प्रकट किया गया था। देवी को सर्पों की रानी भी कहा जाता है, और इसलिए उन्हें सर्पों की पूजा के साथ जोड़ा गया है।

  2. पार्वती देवी की अवतार: कुछ मान्यताओं के अनुसार, माँ मनसा देवी पार्वती जी का एक रूप हैं। जब पार्वती जी ने भगवान शिव से विवाह किया, तब उन्होंने अपने पति की भक्ति को बढ़ावा देने के लिए मनसा देवी का अवतार लिया।

  3. भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति: भक्तों का विश्वास है कि जो लोग सच्चे मन से माँ मनसा देवी की पूजा करते हैं, उनकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। खासकर, जो लोग संतान प्राप्ति या सर्पों से भयभीत होते हैं, वे माँ मनसा देवी से प्रार्थना करते हैं।

  4. मंदिर: माँ मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार में स्थित है। यह मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ पहुँचने के लिए कई सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि माँ यहाँ अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को सुनती हैं और उन्हें पूरा करती हैं।

    प्रसिद्ध मंदिर

    माँ मनसा देवी का प्रमुख मंदिर हरिद्वार में स्थित है, जो पहाड़ी पर है। यह मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, जहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहाँ पहुँचने के लिए भक्तों को सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, जो यात्रा को रोमांचक बनाती हैं। मंदिर के परिसर में एक शांत और पवित्र वातावरण होता है, जहाँ भक्त अपनी इच्छाएँ माँ के चरणों में अर्पित करते हैं।

    पूजा और अनुष्ठान

    माँ मनसा देवी की पूजा में भक्त सामान्यतः फूल, फल, मिठाई और दूध का भोग अर्पित करते हैं। विशेषकर, नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। इस समय मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है, और विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। भक्त सच्चे मन से माँ की आराधना करते हैं, यह विश्वास करते हुए कि उनकी कृपा से सभी परेशानियाँ दूर होंगी।

    निष्कर्ष

    माँ मनसा देवी की कथा केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक मान्यताओं का भी प्रतीक है। उनकी आराधना न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह सर्पों और प्राकृतिक शक्तियों के प्रति सम्मान का भी संकेत है। माँ मनसा देवी की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि की कामना की जाती है।माँ मनसा देवी मंदिर जाने के लिए निम्नलिखित जानकारी उपयोगी होगी:

    कैसे जाएं

    1. सड़क मार्ग:

      • हरिद्वार शहर से मनसा देवी मंदिर लगभग 3 किलोमीटर दूर है। यहाँ पहुँचने के लिए आप स्थानीय टैक्सी, ऑटो या बस ले सकते हैं।
    2. रेल मार्ग:

      • हरिद्वार का रेलवे स्टेशन प्रमुख रेलवे लाइनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से टैक्सी या ऑटो लेकर मंदिर पहुँच सकते हैं।
    3. हवाई मार्ग:

      • नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है, जो हरिद्वार से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। पंतनगर से टैक्सी लेकर हरिद्वार आ सकते हैं और फिर मंदिर जा सकते हैं।

    कब जाएं

    • सर्वश्रेष्ठ समय:

      • नवरात्रि के दौरान (साधारणतः सितंबर-अक्टूबर) मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं। इस समय भक्तों की संख्या अधिक होती है।
      • गर्मियों (मार्च से जून) में यहाँ का मौसम Pleasant होता है, और यह यात्रा के लिए अच्छा समय है।
    • मौसम:

      • बारिश (जुलाई से सितंबर) के महीनों में यात्रा करने से बचें, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
      • सर्दियों (अक्टूबर से फरवरी) में तापमान काफी गिर सकता है, लेकिन यदि आप ठंड पसंद करते हैं तो यह समय भी अच्छा है।

    अन्य जानकारी

    • दर्शन का समय:

      • सुबह जल्दी या शाम के समय मंदिर जाकर दर्शन करना बेहतर होता है।
    • भोजन:

      • मंदिर के पास कुछ स्थानीय रेस्टोरेंट हैं जहाँ आप साधारण भोजन कर सकते हैं।

    यदि आपके और सवाल हैं या किसी विशेष जानकारी की जरूरत है, तो बताएं!



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