भगवान शिव के Omkareshwar Jyotirlinga Temple का स्थान, महत्व, कहानी व इतिहास
स्थान
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के द्वीप पर स्थित है। यह स्थान नर्मदा नदी के मोड़ पर स्थित ओंकार द्वीप पर बना है, जो एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह शहर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है और यहाँ पहुँचने के लिए सड़क और रेल मार्ग दोनों उपलब्ध हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे इस मंदिर का वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

महत्व
ओंकारेश्वर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इसे भगवान शिव का ओंकार स्वरूप माना जाता है, जो "ऊँ" का प्रतीक है। हिंदू धर्म में "ऊँ" को ब्रह्मांड की ध्वनि माना जाता है और इसे ध्यान और साधना में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ भगवान शिव की उपासना करने से भक्तों को मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है। कहा जाता है कि यहाँ ध्यान करने से सभी प्रकार की बाधाएँ समाप्त होती हैं और भक्त की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। यह स्थान विशेष रूप से महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों से भरा रहता है।
कहानी
ओंकारेश्वर की कथा प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में वर्णित है। एक बार देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए संघर्ष चल रहा था। इस संघर्ष के दौरान, दानवों ने भगवान शिव की उपासना की और भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया। एक अन्य कथा के अनुसार, रावण ने यहाँ भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था। उसकी भक्ति और तपस्या से प्रभावित होकर भगवान शिव ने यहाँ ओंकारेश्वर के रूप में प्रकट होने का निर्णय लिया। इस प्रकार, ओंकारेश्वर को भक्तों का एक प्रिय स्थल बना।
इतिहास
ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और यह कई शताब्दियों से एक प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। यहाँ की स्थापत्य कला अद्वितीय है और यह कई बार पुनर्निर्मित किया गया है। 18वीं शताब्दी में यहाँ एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर के परिसर में अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं, जो इस स्थान को और भी खास बनाती हैं। यहाँ का वास्तुकला भारतीय मंदिर शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें जटिल नक्काशी और सुंदर मूर्तिकला शामिल है।
मंदिर की विशेषताएँ
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की मुख्य मूर्ति शिवलिंग के रूप में स्थापित है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहाँ की पूजा विधि विशेष रूप से भक्तिपूर्ण होती है, जिसमें दूध, दही, शहद और अन्य नैवेद्य चढ़ाए जाते हैं। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए विशेष ध्यान स्थल और साधना केंद्र भी हैं, जहाँ लोग ध्यान और साधना कर सकते हैं।
उत्सव और पर्व
महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ भव्य मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा, नर्मदा जयंती और अन्य धार्मिक उत्सव भी यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। भक्त यहाँ स्नान करने के लिए भी आते हैं, क्योंकि नर्मदा नदी के जल में स्नान करने से पवित्रता और शांति प्राप्त होती है।
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