बड़ी दिलचस्प है Somnath Mandir की कहानी, कई बार आक्रमण के बाद भी कायम रहा वैभव | श्री सोमनाथ मंदिर की कथा, इतिहास और महत्व

 सोमनाथ मंदिर की कहानी इतिहास के विभिन्न युगों में बनती रही है. इसके निर्माण का विवादित इतिहास है. मान्यता है कि मंदिर का निर्माण महाभारत काल में चंद्रभागा राज्य के राजा सोम देव द्वारा हुआ था. यहां सोम राजा ने शिवलिंग की पूजा की थी और इसे "सोमेश्वर" नाम से जाना जाता था

सोमनाथ मंदिर

श्री सोमनाथ मंदिर: इतिहास, कथा और महत्व

श्री सोमनाथ मंदिर, भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। सोमनाथ का अर्थ है 'चाँद का भगवान', और यहाँ भगवान शिव को सोमेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की कथा, इतिहास और महत्व बहुत दिलचस्प है, और यह भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

मंदिर की कथा

सोमनाथ मंदिर की कथा हिन्दू पुराणों से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि चंद्रमा (सोम) ने अपनी पत्नी रति को अपमानित किया, जिसके कारण रति ने शिव की शरण ली। शिव ने चंद्रमा को शाप दिया कि वह घटते रहेंगे। चंद्रमा ने शिव की आराधना की और उन्हें प्रसन्न किया। शिव ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह सोमनाथ के रूप में यहाँ स्थापित होंगे। तभी से यह स्थान 'सोमनाथ' कहलाया।

सोमनाथ मंदिर में भगवान शिव को "सोमेश्वर" कहा जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि 'सोम' का अर्थ चाँद है और 'ईश्वर' का अर्थ भगवान।

  1. कथा: मान्यता है कि चंद्रमा (सोम) ने भगवान शिव की आराधना की थी, जिससे शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें इस स्थान पर स्थापित किया।

  2. ज्योतिर्लिंग: सोमनाथ, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और हर ज्योतिर्लिंग का एक विशेष नाम और महत्व होता है।

इस प्रकार, "सोमेश्वर" नाम से यह स्पष्ट होता है कि यह स्थान चंद्रमा से संबंधित है और यहाँ भगवान शिव का विशेष महत्व है।

इतिहास

सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत समृद्ध और विविध है। यह मंदिर विभिन्न शासकों के द्वारा कई बार नष्ट किया गया और पुनर्निर्माण किया गया।

  1. प्राचीन काल: सोमनाथ का पहला उल्लेख महाभारत में मिलता है। यह मंदिर प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल रहा है।

  2. गुर्जर-प्रतिहार राजवंश: 7वीं से 8वीं शताब्दी में गुर्जर-प्रतिहार राजवंश ने इस मंदिर को पुनर्निर्मित किया।

  3. महमूद गजनवी का आक्रमण: 1025 में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और इसे नष्ट कर दिया। कहा जाता है कि गजनवी ने मंदिर की सम्पत्ति लूट ली और शिवलिंग को भी तोड़ दिया।

  4. पुनर्निर्माण: गजनवी के आक्रमण के बाद, मंदिर को विभिन्न राजाओं ने पुनर्निर्मित किया। 1160 में चोल सम्राट राजा विजयालक्ष्मी ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया।

  5. मुगलों का प्रभाव: मुगलों के शासनकाल में भी सोमनाथ का मंदिर कई बार क्षतिग्रस्त हुआ, लेकिन भारतीय सम्राटों ने इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया।

  6. ब्रिटिश राज: 19वीं सदी में, ब्रिटिश राज के दौरान भी मंदिर के जीर्णोद्धार की कोशिशें हुईं।

  7. 1947 के बाद का पुनर्निर्माण: भारत की स्वतंत्रता के बाद, 1951 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में सोमनाथ मंदिर का भव्य पुनर्निर्माण किया गया। इसे आधुनिक तकनीक से और पारंपरिक शैली में बनाया गया।

मंदिर की वास्तुकला

सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला बहुत ही अद्भुत है। यह मंदिर चट्टान से बना हुआ है और इसकी संरचना हिंदू वास्तुकला के अद्वितीय उदाहरणों में से एक है।

  • मुख्य शिखर: मंदिर का मुख्य शिखर 150 फीट ऊँचा है और इसे सोने के चौकोर खंभों पर बनाया गया है।
  • शिवलिंग: यहाँ स्थित शिवलिंग प्राकृतिक पत्थर से बना है और यह पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
  • कला और शिल्प: मंदिर की दीवारों पर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों और चित्रों का अद्भुत काम किया गया है।

धार्मिक महत्व

सोमनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपरा का प्रतीक भी है। यहाँ पर आने वाले भक्तों का मानना है कि यहाँ पूजा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

  • तीर्थ यात्रा: सोमनाथ, चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भक्त यहाँ आकर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
  • महत्वपूर्ण उत्सव: हर वर्ष महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहाँ विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। इस अवसर पर भक्तों की बड़ी संख्या यहाँ आती है।

    आज का सोमनाथ

    आज, सोमनाथ मंदिर एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर का प्रबंधन और संरक्षण भारतीय सरकार द्वारा किया जाता है, और यहाँ की व्यवस्थाएँ भक्तों के लिए बहुत सुविधाजनक हैं।

    सोमनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय एकता, संस्कृति और इतिहास का प्रतीक भी है। इसका वैभव और महत्ता आज भी अटल है, और यह भारतीय सभ्यता के अमर उदाहरणों में से एक है।

    इस प्रकार, सोमनाथ मंदिर की कहानी न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भी है। यह हमें याद दिलाता है कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद विश्वास और श्रद्धा से किसी भी संकट का सामना किया जा सकता है।श्री सोमनाथ मंदिर जाने के लिए आप निम्नलिखित मार्गों का उपयोग कर सकते हैं:

    1. हवाई मार्ग

    • निकटतम एयरपोर्ट: देवगढ़ (Keshod Airport) या राजकोट एयरपोर्ट।
    • एयरपोर्ट से टैक्सी या कैब लेकर सोमनाथ पहुँच सकते हैं।

      रेल मार्ग

      • निकटतम रेलवे स्टेशन: सोमनाथ रेलवे स्टेशन।
    • आप सूरत, राजकोट या अहमदाबाद से ट्रेन लेकर सोमनाथ आ सकते हैं। स्टेशन से ऑटो या टैक्सी द्वारा मंदिर पहुँच सकते हैं।

      सड़क मार्ग

    • यदि आप खुद का वाहन चला रहे हैं, तो राष्ट्रीय राजमार्ग 8 (NH 8) से सोमनाथ का रास्ता आसान है।
    • आप बस सेवा का भी उपयोग कर सकते हैं। कई निजी और सरकारी बसें सोमनाथ के लिए चलती हैं।
    • स्थानीय परिवहन
सोमनाथ पहुँचने पर स्थानीय परिवहन जैसे ऑटो-रिक्शा, टैक्सी या बस का उपयोग कर सकते हैं।

यात्रा की तैयारी

  • समय: सोमनाथ मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।
  • रहने की व्यवस्था: आसपास कई होटल और धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं, जिनमें आप ठहर सकते हैं।
  • पैकेज: यदि आप यात्रा में सुविधाएँ चाहते हैं, तो यात्रा एजेंसियों द्वारा पैकेज भी ले सकते हैं।
  • यात्रा का आनंद लें!

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